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लेखनी कविता -13-Feb-2022 (संगीत )

(4) संगीत

मन को देती है ख़ुशी वो संगीत 
दुख हर लेती है मधुर वो संगीत
माँ सरस्वती का रूप है वो संगीत
तार सितार वीणा गिटार है वो संगीत
पुरवा हवा के झोंके में है वो संगीत 
अंधेरे में प्रकाश दिखाता वो संगीत
पँछी का चहचहाना भी है वो संगीत
नदी झरनों में बहता नीर है वो संगीत
वर्षा की हर बून्द में होता वो संगीत
सूखे पत्तों की आवाज है वो संगीत
संगीत बिना कुछ भी नही संसार मे
हमारे चारो तरफ विद्धमान है संगीत
प्यार के बिना अधूरा सा है वो संगीत
सजीव वस्तु में भी होता है वो संगीत
निर्जीव वस्तु में भी होता है वो संगीत
बिजली का कड़कना भी है वो संगीत
संगीत ही है जो मिटा दे दुख दे खुशी
संगीत ही संगीत पूरा विश्व है वो संगीत

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 04:00 PM

बहुत खूबसूरत

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